BookShared
  • MEMBER AREA    
  • सूखा तथा अन्य कहानियाँ

    (By Nirmal Verma)

    Book Cover Watermark PDF Icon Read Ebook
    ×
    Size 22 MB (22,081 KB)
    Format PDF
    Downloaded 598 times
    Last checked 9 Hour ago!
    Author Nirmal Verma
    “Book Descriptions: निर्मल वर्मा की कथा में ‘पढ़ने’ का कोई विकल्प नहीं है; न ‘सुनना’, न ‘देखना’, न ‘छूना’। वह पढ़ने की शर्तों को कठिन बनाती है तो इसी अर्थ में कि हम इनमें से किसी भी रास्ते से उसे नहीं पढ़ सकते। हमें भाषा पर एकाग्र होना होगा क्योंकि वही इस कथा का वास्तविक घातांक है; वही इस कि’स्से की कि’स्सागो है। जब कभी से और जिस किसी भी कारण से इसकी शुरुआत हुई हो पर आज के इस अक्षर-दीप्त युग में विडम्बनापूर्ण ढंग से ‘पढ़ने’ की हमारी क्षमता सर्वाधिक क्षीण हुई है। हम वाक् से स्वर में, दृश्य में, स्पर्श में, रस में एक तरह से निर्वासित हैं। भाषा को अपनी आत्यन्तिक, चरम और निर्विकल्प भूमि बनाती निर्मल वर्मा की कथा इस निर्वासन से बाहर आकर सबसे अधिक क्रियाशील और समावेशी संवेदन वाक् में हमारे पुनर्वास का प्रस्ताव करती है। -मदन सोनी

    About The Writer
    NIRMAL VERMA

    निर्मल वर्मा (1929-2005) भारतीय मनीषा की उस उज्ज्वल परम्परा के प्रतीक-पुरुष हैं, जिनके जीवन में कर्म, चिन्तन और आस्था के बीच कोई फाँक नहीं रह जाती। कला का मर्म जीवन का सत्य बन जाता है और आस्था की चुनौती जीवन की कसौटी। ऐसा मनीषी अपने होने की कीमत देता भी है और माँगता भी। अपने जीवनकाल में गलत समझे जाना उसकी नियति है और उससे बेदाग उबर आना उसका पुरस्कार। निर्मल वर्मा के हिस्से में भी ये दोनों बखूब आये। स्वतन्त्र भारत की आरम्भिक आधी से अधिक सदी निर्मल वर्मा की लेखकीय उपस्थिति से गरिमांकित रही। वह उन थोड़े से रचनाकारों में थे जिन्होंने संवेदना की व्यक्तिगत स्पेस और उसके जागरूक वैचारिक हस्तक्षेप के बीच एक सुन्दर सन्तुलन का आदर्श प्रस्तुत किया। उनके रचनाकार का सबसे महत्त्वपूर्ण दशक, साठ का दशक, चेकोस्लोवाकिया के विदेश प्रवास में बीता। अपने लेखन में उन्होंने न केवल मनुष्य के दूसरे मनुष्यों के साथ सम्बन्धों की चीर-फाड़ की, वरन् उसकी सामाजिक, राजनैतिक भूमिका क्या हो, तेजी से बदलते जाते हमारे आधुनिक समय में एक प्राचीन संस्कृति के वाहक के रूप में उसके आदर्शों की पीठिका क्या हो, इन सब प्रश्नों का भी सामना किया। अपने जीवनकाल में निर्मल वर्मा साहित्य के लगभग सभी श्रेष्ठ सम्मानों से समादृत हुए, जिनमें साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1985), ज्ञानपीठ पुरस्कार (1999), साहित्य अकादेमी महत्तर सदस्यता (2005) उल्लेखनीय हैं। भारत के राष्ट्रपति द्वारा तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्मभूषण, उन्हें सन् 2002 में दिया गया। अक्तूबर 2005 में निधन के समय निर्मल वर्मा भारत सरकार द्वारा औपचारिक रूप से नोबल पुरस्कार के लिए नामित थे।

    http://www.vaniprakashan.in/details.p...”

    Google Drive Logo DRIVE
    Book 1

    Tooti Hui Bhikhari Hui । टूटी हुई बिखरी हुई (मानव कौल का नया उपन्यास)

    ★★★★★

    Manav Kaul

    Book 1

    पतझड़ [Patjhad]

    ★★★★★

    Manav Kaul

    Book 1

    गुनाहों का देवता

    ★★★★★

    Dharamvir Bharati

    Book 1

    South of the Border, West of the Sun

    ★★★★★

    Haruki Murakami

    Book 1

    Antima

    ★★★★★

    Manav Kaul

    Book 1

    A Wild Sheep Chase (The Rat, #3)

    ★★★★★

    Haruki Murakami

    Book 1

    Stoner

    ★★★★★

    John Williams

    Book 1

    तितली

    ★★★★★

    Manav Kaul

    Book 1

    कहीं नहीं वहीं

    ★★★★★

    Ashok Vajpeyi

    Book 1

    प्रतिनिधि कविताएँ: विनोद कुमार शुक्ल

    ★★★★★

    Vinod Kumar Shukla

    Book 1

    Mahavidyalaya

    ★★★★★

    Vinod Kumar Shukla

    Book 1

    तरकश /ترکش / Tarkash

    ★★★★★

    Javed Akhtar

    Book 1

    Ek Poorv Mein Bahut Se Poorv

    ★★★★★

    Vinod Kumar Shukla