“Book Descriptions: ज़िंदगी की कहानी-सुकन्या की ज़ुबानी” सिर्फ एक किताब नहीं है यह एक सपना है जो मेरी आँखें 1998 से देख रही हैं। ना जाने कितने सालों से लिख रही हूँ सिर्फ इस आस में कि शायद एक दिन इन कविताओं को प्रकाशित कर पाऊँ। ज़िंदगी का सारांश है इन कविताओं में। इस सपने को पंख उस दिन मिले जब एक दिन रबीन्द्रनाथ टेगोर जी एक एक कविता “पेपर बोट” पढ़ रही थी।पढ़ कर पता चला उन्हें भी पारिजात के फूल बेहद पसंद थे जैसे मुझे पसंद हैं। बस उस दिन ठान लिया सुकन्या का कविताओं से रिश्ता यूं ही नहीं है। लहरों जैसा ही रहा है जीवन सदा। लहरों जैसी अपनी कविताएं प्रस्तुत कर रही हूँ जो आपके मन को भी सुकून देंगी।” DRIVE