“Book Descriptions: कुछ लोग सोचते हैं, कुछ लोग कह जाते हैं, और कुछ लोग सोचकर जो कह नहीं पाते, उसे लिख डालते हैं। इस लिहाज़ से मेरी गिनती आख़री किस्म के इंसानों में होनी चाहिए। मेरी आँखें बहुत घूमती हैं, न जाने कहाँ-कहाँ पहुँच जाती हैं। फिर थक जाती हैं। मैंने ३४ साल के जीवन में, जो कुछ भी देखा, सुना, जिया, और महसूस किया, उन सब की अहमियत को इन पन्नों में लपेट कर आपके हाथों में दे रहा हूँ। कभी-कभी लगता है, कि कहीं तो मैं क़ैद हूँ और इन पन्नों के ज़रिये, रिहाई पाने की कोशिश कर रहा हूँ। अब आपको ये तय करना है, कि मेरी रिहाई होने को है, या शायद, आपके दिलों में क़ैद होने को। मेरी ज़िन्दगी के आज तक के सफर से संजोयी हुई मिटटी है यह किताब।” DRIVE