“Book Descriptions: चंद्रताल एक तस्कर की कहानी है जिसे इस बात का कोई दंभ नहीं है की वो कोई गलत कार्य कर रहा है या फिर सही। इस कहानी में मुख्य पात्र एक दुर्घटना से गुजरता है और उसके चलते हुए वो कुछ विशेष परिस्थितियों में एक रहस्यमयी झील पर पहुंचता है। इस झील पर हुए कुछ विशेष अनुभवों से वह एक पल के लिए भौतिक विज्ञान के नियमों पर संदेह करना शुरू कर देता है। इसी कड़ी में वह उस झील के रहस्य को मालूम करने के लिए तत्पर हो जाता है। यहाँ आकर उसे पता चलता है की इस इस जगत में ऐसी बहुत सी चीज़ें और शक्तियां विद्यमान है जिनका हमें मालूम नहीं या फिर कई बार ऐसा भी होता है कि जो घटना हम समझने में असमर्थ होते हैं हम उसे दैवी घटना समझ जाते हैं। यहीं पर वो अपनी मनोस्तिथि का भी विवेचन करता है। लेकिन समय के साथ-साथ उसे पता चलता है की कुछ मनुष्य उस झील का इस्तेमाल अपने स्वार्थी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भी करना चाहते हैं। अतः वह झील के रहस्य को गलत लोगों के हाथ में न आने देने का फैसला करता है और इसके लिए वह किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार हो जाता है। यह कहानी इस विषय में भी बात करती है की क्या सच में किसी व्यक्ति का पहला कृत ही क्या सचमुच उसका आखिरी कृत होता है ? क्या किसी व्यक्ति की कार्य पद्दती या फिर उसके पारिवारिक इतिहास से हम उसका वर्तमान और भविष्य का आकलन कर सकते हैं ? लेखक पुनीत पुण्डीर पेशे से व्यापारी है। इन्होंने विपणन से एम. बी. ए. में और औद्योगिक मनोविज्ञान से एम. फिल. में स्नातकोत्तर किया है। इन्हे किताबें पढ़ने और लंबी यात्राओं पर जाने का शौक है। एक लेखक के तौर पर चंद्रताल इनकी दूसरी कृति है। इन्होंने इस से पहले अपने उपन्यास “ फिफ्टीन मिनट फिफ्टीन सेकंड्स” को अंग्रेजी में प्रकाशित किया है।” DRIVE